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सुषमा स्वराज जी चाहती है ” गीता ” राष्ट्रीय पुस्तक घोषित हो , क्या आप भी सहमत है ?

सुषमा स्वराज

नई दिल्ली: विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने केंद्र से भगवत गीता को राष्ट्रीय धार्मिक ग्रंथ बनाने की सिफ़ारिश की है। स्वराज ने आज कहा कि इस संबंध में केवल औपचारिकता रह गई है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने इस पर कहा कि लोकतंत्र में संविधान ‘पवित्र पुस्तक’ है।

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सुषमा ‘गीता के 5,151 वर्ष पूरे होने के’ मौके पर यहां लाल किला मैदान में आयोजित ‘गीता प्रेम महोत्सव’ को संबोधित कर रहीं थीं जहां विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहिए।

इस समारोह में मौजूद सिंघल ने कहा, ‘दो तरीके हैं। या तो पहले विधेयक पारित किया जाए और इसे राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए। या प्रधानमंत्री तत्काल इसे राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर दें। आज यहां सुषमा स्वराज उपस्थित हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में होने के नाते उनसे मेरा अनुरोध है कि प्रधानमंत्री मोदी से गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराएं।’

वहीं सुषमा ने कहा कि वह भगवत गीता के उपदेशों के चलते ही विदेशमंत्री के रूप में चुनौतियों का सामना कर पाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गीता को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ का सम्मान तो तभी मिल गया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल सितंबर में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को यह पुस्तक भेंट की थी।

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सुषमा ने अपने संबोधन में कहा, ‘भगवत गीता में सभी की समस्याओं का समाधान है और इसलिए मैंने संसद में खड़े होकर कहा था कि ‘श्रीमद भगवत गीता’ को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार के आने के बाद से इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन मुझे यह कहते हुए खुशी है कि प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को ‘श्रीमद भगवत गीता’ भेंट करते हुए इसे पहले ही राष्ट्रीय ग्रंथ का सम्मान दिला दिया है।’

सुषमा के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस ने कहा, ‘हमारा संविधान कहता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। लोकतंत्र में संविधान पवित्र पुस्तक है।’ पार्टी ने एक ट्वीट में कहा, ‘हम सभी पवित्र पुस्तकों का सम्मान करते हैं। कुरान, पुराण, वेद, वेदांत, बाइबिल, त्रिपिटक, जेंदावेस्ता, गुरू ग्रंथ साहिब, गीता सभी हमारे गौरव हैं।’

वहीं कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि गीता का सार इसके तत्व में समाहित है न कि इसकी प्रतीकात्मकता में।

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